कपड़े तरह-तरह के रेशे तरह-तरह के – Bihar Board Class 8 Science Chapter 4 Notes

कपड़े हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और विभिन्न प्रकार के रेशों से बनाए जाते हैं। Bihar Board Class 8 Science Chapter 4 Notes में, हम कपड़ों और रेशों के विभिन्न प्रकारों के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह लेख छात्रों को इस अध्याय के नोट्स प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है, जिससे वे कपड़ों और रेशों की विविधता और उनकी उपयोगिता को समझ सकें।

Bihar Board Class 8 Science Chapter 4 Notes

कपड़े तरह-तरह के रेशे तरह-तरह के – Bihar Board Class 8 Science Chapter 4 Notes

कपड़े हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे न केवल हमारी सुरक्षा करते हैं बल्कि हमारे व्यक्तित्व और समाज में हमारी स्थिति को भी प्रतिबिंबित करते हैं। कपड़े विभिन्न प्रकार के रेशों से बनते हैं, और हर रेशा अपने आप में अनूठा होता है। इस लेख में, हम बिहार बोर्ड कक्षा 8 विज्ञान के अध्याय 4 “कपड़े तरह-तरह के रेशे तरह-तरह के” की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करेंगे।

रेशों के प्रकार
रेशों को मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे।

प्राकृतिक रेशे

कपास (Cotton)

  • स्रोत: कपास के पौधे से प्राप्त होता है।
  • लक्षण: कपास के रेशे नरम, श्वासोच्छ्वास योग्य और हाइज्रोस्कोपिक होते हैं।
  • उपयोग: कपास के कपड़े गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि वे पसीना सोखते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं।

ऊन (Wool)

  • स्रोत: भेड़, बकरी, और अन्य कुछ जानवरों के बालों से प्राप्त होता है।
  • लक्षण: ऊन के रेशे गर्म और मुलायम होते हैं। वे थर्मल इंसुलेटर होते हैं।
  • उपयोग: ऊनी कपड़े सर्दियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि वे गर्मी बनाए रखते हैं।

रेशम (Silk)

  • स्रोत: रेशम के कीड़े (सिल्कवर्म) से प्राप्त होता है।
  • लक्षण: रेशम के रेशे चमकदार, मुलायम, और मजबूत होते हैं।
  • उपयोग: रेशमी कपड़े विशेष अवसरों पर पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं और उनकी चमक और मुलायम बनावट उन्हें लोकप्रिय बनाती है।

जूट (Jute)

  • स्रोत: जूट के पौधे से प्राप्त होता है।
  • लक्षण: जूट के रेशे मोटे, मजबूत, और जैव निम्नीकरणीय होते हैं।
  • उपयोग: जूट का उपयोग मुख्यतः बोरियों, रस्सियों, और गलीचे बनाने में होता है।

कृत्रिम रेशे

नायलॉन (Nylon)

  • स्रोत: रासायनिक प्रक्रिया द्वारा निर्मित होता है।
  • लक्षण: नायलॉन के रेशे मजबूत, लचीले, और जलरोधक होते हैं।
  • उपयोग: नायलॉन का उपयोग मुख्यतः मोजे, तंबू, और रस्सियों में होता है।

पॉलिएस्टर (Polyester)

  • स्रोत: पेट्रोलियम उत्पादों से निर्मित होता है।
  • लक्षण: पॉलिएस्टर के रेशे मजबूत, टिकाऊ, और झुर्रियों रहित होते हैं।
  • उपयोग: पॉलिएस्टर का उपयोग वस्त्र, बोतलें, और फिल्में बनाने में होता है।

रेयॉन (Rayon)

  • स्रोत: सेलूलोज से प्राप्त होता है, जो प्राकृतिक रूप से प्राप्त किया जाता है लेकिन इसे रासायनिक प्रक्रिया द्वारा कृत्रिम बनाया जाता है।
  • लक्षण: रेयॉन के रेशे मुलायम, चिकने, और चमकदार होते हैं।
  • उपयोग: रेयॉन का उपयोग वस्त्र, घर के सजावट सामग्री, और चिकित्सा पट्टियों में होता है।

रेशों का उत्पादन और प्रसंस्करण

पास का उत्पादन और प्रसंस्करण

  • कपास की खेती: कपास की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। इसमें गहरी और उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • कपास की बुवाई और कटाई: बुवाई का समय वसंत ऋतु में होता है और कटाई शरद ऋतु में की जाती है।
  • कपास की जिनिंग: कटाई के बाद, कपास के रेशों को बीज से अलग करने की प्रक्रिया जिनिंग कहलाती है।
  • कपास की स्पिनिंग: जिनिंग के बाद, रेशों को धागों में बदलने के लिए स्पिनिंग की जाती है।
  • कपास की बुनाई: स्पिनिंग के बाद, धागों को कपड़े में बुनने की प्रक्रिया बुनाई कहलाती है।

ऊन का उत्पादन और प्रसंस्करण

  • भेड़ों की देखभाल: ऊन का उत्पादन करने के लिए भेड़ों की देखभाल की जाती है और उन्हें पोषण युक्त आहार दिया जाता है।
  • ऊन की कटाई: भेड़ों से ऊन को काटने की प्रक्रिया शीयरिंग कहलाती है।
  • ऊन की सफाई: ऊन की सफाई की जाती है ताकि उसमें से गंदगी और तेल हटाया जा सके।
  • ऊन की स्पिनिंग: साफ ऊन को धागों में बदलने के लिए स्पिनिंग की जाती है।
  • ऊन की बुनाई: स्पिनिंग के बाद, ऊन के धागों को कपड़े में बुनने की प्रक्रिया बुनाई कहलाती है।

रेशम का उत्पादन और प्रसंस्करण

  • रेशम के कीड़ों की देखभाल: रेशम का उत्पादन करने के लिए रेशम के कीड़ों की देखभाल की जाती है।
  • ककून की कटाई: रेशम के कीड़ों द्वारा बनाए गए ककून को एकत्रित किया जाता है।
  • ककून का उबालना: ककून को उबालकर रेशम के रेशों को अलग किया जाता है।
  • रेशम की स्पिनिंग: रेशम के रेशों को धागों में बदलने के लिए स्पिनिंग की जाती है।
  • रेशम की बुनाई: स्पिनिंग के बाद, रेशम के धागों को कपड़े में बुनने की प्रक्रिया बुनाई कहलाती है।

रेशों के उपयोग और उनकी विशेषताएँ

कपास के उपयोग और विशेषताएँ

  • उपयोग: कपास का उपयोग मुख्यतः वस्त्र, बिस्तर की चादरें, तौलिए, और चिकित्सा पट्टियों में होता है।
  • विशेषताएँ: कपास के कपड़े नरम, श्वासोच्छ्वास योग्य, और हाइज्रोस्कोपिक होते हैं। वे गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं।

ऊन के उपयोग और विशेषताएँ

  • उपयोग: ऊन का उपयोग मुख्यतः वस्त्र, स्वेटर, कोट, और गलीचे बनाने में होता है।
  • विशेषताएँ: ऊनी कपड़े गर्म, मुलायम, और थर्मल इंसुलेटर होते हैं। वे सर्दियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं।

रेशम के उपयोग और विशेषताएँ

  • उपयोग: रेशम का उपयोग मुख्यतः वस्त्र, साड़ी, टाई, और घर की सजावट सामग्री में होता है।
  • विशेषताएँ: रेशमी कपड़े चमकदार, मुलायम, और मजबूत होते हैं। वे विशेष अवसरों पर पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं।

जूट के उपयोग और विशेषताएँ

  • उपयोग: जूट का उपयोग मुख्यतः बोरियों, रस्सियों, और गलीचे बनाने में होता है।
  • विशेषताएँ: जूट के रेशे मोटे, मजबूत, और जैव निम्नीकरणीय होते हैं।

कृत्रिम रेशों के उपयोग और विशेषताएँ

  • नायलॉन: मोजे, तंबू, और रस्सियों में उपयोग होता है। मजबूत, लचीले, और जलरोधक होते हैं।
  • पॉलिएस्टर: वस्त्र, बोतलें, और फिल्में बनाने में उपयोग होता है। मजबूत, टिकाऊ, और झुर्रियों रहित होते हैं।
  • रेयॉन: वस्त्र, घर के सजावट सामग्री, और चिकित्सा पट्टियों में उपयोग होता है। मुलायम, चिकने, और चमकदार होते हैं।

रेशों के पर्यावरणीय प्रभाव

प्राकृतिक रेशे

  • पारिस्थितिकी पर प्रभाव: प्राकृतिक रेशे जैसे कपास, ऊन, और जूट जैव निम्नीकरणीय होते हैं और उनके पर्यावरणीय प्रभाव कम होते हैं।
  • स्थिरता: प्राकृतिक रेशे स्थिर होते हैं और उनके उत्पादन में कम रासायनिक उपयोग होता है।

कृत्रिम रेशे

  • पारिस्थितिकी पर प्रभाव: कृत्रिम रेशे जैसे नायलॉन, पॉलिएस्टर, और रेयॉन जैव निम्नीकरणीय नहीं होते हैं और उनके उत्पादन में अधिक रासायनिक उपयोग होता है।

स्थिरता: कृत्रिम रेशों के उत्पादन में पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग होता है, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन रेशों के जैव निम्नीकरणीय न होने के कारण ये लैंडफिल में जमा हो जाते हैं और पर्यावरण को दूषित करते हैं।

विभिन्न रेशों के फायदे और नुकसान

कपास

फायदे:

  • श्वासोच्छ्वास योग्य: कपास के कपड़े गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि ये पसीना सोखते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं।
  • नरम और आरामदायक: कपास के कपड़े पहनने में आरामदायक होते हैं।
  • हाइज्रोस्कोपिक: कपास के रेशे नमी को अच्छी तरह से अवशोषित करते हैं।

नुकसान:

  • थर्मल इंसुलेटर: ऊनी कपड़े सर्दियों में गर्मी बनाए रखते हैं और शरीर को ठंड से बचाते हैं।
  • मुलायम और आरामदायक: ऊनी कपड़े मुलायम और आरामदायक होते हैं।
  • नमी प्रतिरोधी: ऊन के रेशे प्राकृतिक रूप से नमी को प्रतिरोधी होते हैं।

नुकसान:

  • झुर्रियों की समस्या: कपास के कपड़े जल्दी झुर्राते हैं और उन्हें इस्त्री करने की आवश्यकता होती है।
  • श्रिंकिंग: कपास के कपड़े धोने पर सिकुड़ सकते हैं।

ऊन

फायदे:

  • कीटों का आकर्षण: ऊनी कपड़ों को कीटों से नुकसान होने की संभावना होती है।
  • देखभाल की आवश्यकता: ऊनी कपड़ों की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जैसे ड्राई क्लीनिंग।

रेशम

फायदे:

  • चमकदार और आकर्षक: रेशमी कपड़े चमकदार और दिखने में आकर्षक होते हैं।
  • मुलायम और मजबूत: रेशम के कपड़े मुलायम होते हैं और उनकी ताकत भी अच्छी होती है।
  • हल्के और आरामदायक: रेशम के कपड़े हल्के होते हैं और पहनने में आरामदायक होते हैं।

नुकसान:

  • महंगे: रेशमी कपड़े अन्य रेशों की तुलना में महंगे होते हैं।
  • देखभाल की आवश्यकता: रेशम के कपड़ों की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जैसे ड्राई क्लीनिंग और हल्के हाथ से धोना।

जूट

फायदे:

  • मजबूत और टिकाऊ: जूट के रेशे मजबूत और टिकाऊ होते हैं।
  • जैव निम्नीकरणीय: जूट के रेशे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और आसानी से नष्ट हो जाते हैं।
  • सस्ते: जूट के उत्पाद सस्ते होते हैं और आसानी से उपलब्ध होते हैं।

नुकसान:

  • कठोर और खुरदरे: जूट के रेशे अन्य रेशों की तुलना में कठोर और खुरदरे होते हैं।
  • पानी में कमजोर: जूट के रेशे पानी में कमजोर हो जाते हैं और जल्दी खराब हो सकते हैं।

नायलॉन

फायदे:

  • मजबूत और लचीले: नायलॉन के रेशे मजबूत और लचीले होते हैं।
  • जलरोधक: नायलॉन के रेशे जलरोधक होते हैं और जल्दी सूख जाते हैं।
  • हल्के और टिकाऊ: नायलॉन के कपड़े हल्के और टिकाऊ होते हैं।

नुकसान:

  • गैर-जैव निम्नीकरणीय: नायलॉन के रेशे पर्यावरण में आसानी से नष्ट नहीं होते और प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • स्थिरता की समस्या: नायलॉन के कपड़े स्थैतिक बिजली उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे धूल और गंदगी चिपक जाती है।

पॉलिएस्टर

फायदे:

  • मजबूत और टिकाऊ: पॉलिएस्टर के रेशे मजबूत और टिकाऊ होते हैं।
  • झुर्रियों रहित: पॉलिएस्टर के कपड़े झुर्रियों रहित होते हैं और उनकी देखभाल आसान होती है।
  • रंग स्थिरता: पॉलिएस्टर के कपड़े रंगीन होते हैं और उनका रंग लंबे समय तक बना रहता है।

नुकसान:

  • गैर-जैव निम्नीकरणीय: पॉलिएस्टर के रेशे पर्यावरण में आसानी से नष्ट नहीं होते और प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • श्वासोच्छ्वास में कमी: पॉलिएस्टर के कपड़े श्वासोच्छ्वास में कम होते हैं और गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त नहीं होते

रेयॉन

फायदे:

  • मुलायम और चिकने: रेयॉन के रेशे मुलायम और चिकने होते हैं।
  • चमकदार: रेयॉन के कपड़े चमकदार होते हैं और दिखने में आकर्षक होते हैं।
  • श्वासोच्छ्वास योग्य: रेयॉन के कपड़े श्वासोच्छ्वास योग्य होते हैं और गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं।

नुकसान:

  • कमजोर: रेयॉन के रेशे नमी में कमजोर हो जाते हैं और जल्दी टूट सकते हैं।
  • झुर्रियों की समस्या: रेयॉन के कपड़े जल्दी झुर्राते हैं और उन्हें इस्त्री करने की आवश्यकता होती है।

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